Видео с ютуба वैराग्य संदीपनी
वैराग्य संदीपनी | भाग 40 | संत-दर्शन — पाप, कर्म और मोह का नाश | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 39 | जो शरीर, मन और वचन से किसी को दुख नहीं देते | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 38 | संत का तेजस्वी स्वरूप | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 37 | संत की वाणी जो मोह रूपी अंधकार को मिटा दे | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 36 | संत की कोमल वाणी: जो कठोर हृदय को पिघला दे | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 35 | संत की वाणी:हृदय को भेदकर भय और भ्रम मिटा दे | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 34 | संत की वाणी: जो कठोरता को भी मोम बना दे | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 33 | संत: सुगंध फैलाने वाला चंदन | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 32 | संत: समाज का जीवित आदर्श और रामरस का दाता | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 31 | संत का गहना: विनम्रता और रामरस से भरा जीवन | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 30 | संत की पहचान: सबको सहना और सबमें राम देखना | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 29 | भीतर की जीत और राम में स्थित हृदय | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 28 | संत जीवन का गहना: शील, सहनशीलता और रामनाम | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 27 | एक और रहस्य,जहाँ संत का जीवन स्वयं एक तारक जहाज बन जाता है।
वैराग्य संदीपनी | भाग 26 | राग-द्वेष से परे संत ही जगत का सहारा | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 25 | जो स्वयं डूबे नहीं, वही दूसरों को तारते हैं | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 24 | रामरूप ही जीवन की अंतिम बूँद | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 23 | चातक सम भक्त की प्रतीक्षा | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपनी | भाग 22 | अनन्य भक्ति और चातक सम समर्पण | श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी
वैराग्य संदीपिनी | भाग 20 | मृगतृष्णा से मुक्ति का मार्ग| श्री राघवेन्द्र पाण्डेय जी